गुरुवार, 5 सितंबर 2013

हमारे भविष्य संकेत-

 

जो सत्य साबित हुए-

 

१. सत्तारूढ़ दल के प्रति जन-विद्रोहः (दिसंबर २०१२)-

 हमारे द्वारा राहु के राशि परिवर्तन पर की गई दिसंबर २०१२ की सत्तारूढ़ दल के प्रति जन-विद्रोह की भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य साबित हुई। १६ दिसंबर को हुए निर्भया कांड के बाद सरकार के प्रति अत्यंत आक्रामक जन-विद्रोह हुआ।

२. सत्ता परिवर्तन:(दिसंबर २०१२)-

हमारे द्वारा दिसंबर २०१२ में की गई सत्ता परिवर्तन की भविष्यवाणी भी अक्षरशः सत्य साबित हुई। २०१३ में उत्तराखंड व झारखंड में सत्ता परिवर्तन हुआ।

३.मँहगाई में वृद्धि :(दिसंबर २०१२)-

 हमारे द्वारा दिसंबर २०१२ में की गई मँहगाई में वृद्धि की भविष्यवाणी भी अक्षरशः सत्य साबित हुई। हमारे द्वारा की गई भविष्यवाणी के बाद पेट्रो उत्पादों के दामों में अतिशय वृद्धि की गई। वहीं खाने-पीने की वस्तुओं सहित प्याज़ के दामों में भीषण बढ़ोतरी हुई।

४.प्राकृतिक आपदा:(दिसंबर २०१२)-

हमारे द्वारा दिसंबर माह में की गई प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी भी अक्षरशः सत्य साबित हुई। २०१३ में उत्तराखंड में अतिवृष्टि के कारण भीषण तबाही हुई। कई जगह भू-स्खलन हुआ व भूकम्प आया। कई स्थानों पर बाढ़ का प्रकोप भी हुआ। कई दुर्घटनाएं हुईं।

५.हिंसा:(दिसंबर २०१२)-

हमारे द्वारा की गई हिंसा के भविष्य संकेत भी सच साबित हुए। २०१३ में असम में भारी हिंसा के कारण जनहानि हुई। वहीं किश्तवाड़ में भी हिंसा के कारण जन-हानि हुई।

६.संजय दत्त को माफ़ी नहीं:(२ अप्रैल २०१३)-

हमारे द्वारा २ अप्रैल २०१३ को फ़िल्म अभिनेता संजय दत्त की माफ़ी के बारे में की गई भविष्यवाणी भी अक्षरशः सत्य साबित हुई। इस दौरान कई दल व कई प्रसिद्ध व्यक्ति उनकी माफ़ी की मुहिम ज़ोरशोर से चलाए हुए थे। हमारे द्वारा उनकी जन्मांग चक्र के गहन निरीक्षण उपरांत यह भविष्य संकेत दिया गया था कि इस समय संजय को दत्त को माफ़ी नहीं मिलेगी। कुछ ही दिनों बाद संजय दत्त को जेल जाना पड़ा।

(विस्तृत भविष्य-संकेत पढ़ने के लिए नीचे दिया गया लिंक देखें-)
संजय दत्त को नहीं मिलेगी माफ़ी

 

आगामी भविष्य संकेत-

 

“भद्रा” करेगी मोदी की राह आसान-

आज सभी की निगाहें बनारस की ओर लगी हुई हैं। बनारस से आज भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी नामांकन भरने वाले हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यदि सिर्फ़ शुद्ध मुहूर्त ही साध लिया जाए तो कुण्डली कुयोग आधे से अधिक तक निष्प्रभावी हो जाते हैं और अभीष्ट की सिद्धि होती है किंतु काशी के विद्वान ज्योतिषियों ने आज के दिन को नामांकन के लिए शुभ नहीं माना है, क्योंकि आज “भद्रा” है। ज्योतिष शास्त्रानुसार “भद्रा” एक बहुत ही अशुभ योग होता है जिसमें किए गए समस्त कार्य सदा निष्फ़ल हो जाते हैं। यही कारण है कि कल अनेक न्यूज़ चैनलों पर आज के दिन मोदी के नामांकन भरने को लेकर चर्चा होती रही। काशी के एक विद्वान ज्योतिषी ने तो यहां तक कह दिया कि मोदी को ज्योतिष पर विश्वास नहीं है और वे इसकी उपेक्षा करने के लिए ही इस दिन नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं, बहरहाल यह सत्य कि आज “भद्रा” है परन्तु ज्योतिष के विद्वान अध्येयताओं को यह पता होना चाहिए कि आज “उत्तरार्द्ध” की भद्रा है;ना कि “पूर्वाद्ध” की। “उत्तरार्द्ध” की भद्रा रात्रि में त्याज्य होती है जबकि “पूर्वाद्ध” की भद्रा दिन में, इसके विपरीत “उत्तरार्द्ध” की “भद्रा” दिन में सभी कार्यों में प्रशस्त होती है और “पूर्वाद्ध” की रात्रि में। शास्त्रानुसार “भद्रा” में समस्त शुभ कार्य वर्जित होते हैं किंतु समस्त क्रूर कार्य जैसे शत्रु पर आक्रमण,शत्रु वध,मारण, उच्चाटन आदि “भद्रा” में ही शुभ होते हैं इस दृष्टि से भी आज का दिन नामांकन के लिए शुभ है। वैसे भी “भद्रा” के मुख की ५ घटियां अर्थात् २ घंटे ही त्याज्य होते है “भद्रा” का पृष्ठ भाग कार्यों में सफलता दिलाता है। अतः “भद्रा” मोदी की राह बहुत हद तक आसान कर देगी।

अरविंद केजरीवाल हैं लंबी रेस का घोड़ा-


अरविंद केजरीवाल की कुण्डली वृष लग्न एवं वृष राशि की है। लग्नेश एवं राशि स्वामी शुक्र चतुर्थ भाव में केंद्रस्थ हैं। यहां शुक्र को दिग्बल प्राप्त है। चतुर्थ भाव में चतुर्ग्रही योग है, इसी भाव में बुधादित्य योग भी बन रहा है। वाणी के कारक द्वितीयेश बुध एवं गुरू की शुभ युति के कारण केजरीवाल अपनी वाणी के बल पर अतीव प्रसिद्धि प्राप्त कर रहे हैं। वहीं केंद्र में कुल ५ ग्रह विद्यमान है जिनमें एक उच्चराशिस्थ व एक स्वराशिस्थ है। लग्नेश दिग्बली है। यह एक अत्यंत शुभयोग है। केजरीवाल की कुण्डली में चतुर्थेश जो कि जनता के भाव का स्वामी है स्वराशि में स्थित है वहीं जनता का कारक शनि व्यय भाव में वक्री होकर नीचराशिस्थ है। ज्योतिषीय नियमानुसार यह उच्चफलदायक है जिसके फलस्वरूप केजरीवाल को जनता का असीम प्यार प्राप्त हो रहा है। वहीं तृतीयेश चंद्र केंद्र में उच्चराशिस्थ होकर गुरू से दशम में स्थित होने के कारण “गजकेसरी योग” बना रहा है जिसके कारण केजरीवाल में अति साहस का गुण का परिलक्षित हो रहा है। वहीं पराक्रम भाव में मंगल उनके साहस में वृद्धि कर रहा है। यहां मंगल के नीचराशिस्थ होने व चंद्र के उच्च राशिस्थ होने के कारण “नीचभंग राजयोग” बन रहा है। चतुर्थेश सूर्य के स्वराशि में स्थित होने व शनि के बलवान होने से केजरीवाल का संबंध सदा-सर्वदा जनता से रहा है। वे आंदोलनों से जुड़े रहे हैं। वहीं यह योग उनके राजनीति में या यूं कहें की सार्वजनिक जीवन में होने के भी स्पष्ट संकेत दे रहा है। नवमांश में “रूचक योग” के बनने व लग्न कुण्डली में मंगल की पराक्रम भाव में स्थित होने से केजरीवाल अत्यधिक साहसी हैं वे साहसिक निर्णय लेने में ज़रा भी संकोच नहीं करते चाहे वह उच्च पद से त्यागपत्र देने का मामला हो या नए दल के गठन कर चुनावी में राजनीति में भाग्य आज़माने का। केजरीवाल की कुण्डली में चतुर्थेश सूर्य नवमांश में उच्चराशिस्थ हैं यह योग भी जनता से संबंध, प्यार एवं सत्ता का संकेत दे रहा है। सत्ता के कारक सूर्य-राहु-शनि व जनता के कारक शनि की कुण्डली में अत्यंत शुभ स्थित यह स्पष्ट संकेत दे रही है कि अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति के लंबी रेस के घो़ड़े साबित हो सकते हैं किंतु इन शुभ योगों के साथ ही केजरीवाल की कुण्डली में   विषाक्त नामक “कालसर्प योग” भी उपस्थित है। यह एक अशुभ योग है जिसके कारण केजरीवाल को जीवन में कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। कई बार वे उपलब्धियां प्राप्त करते-करते रह जाएंगे। यद्यपि कुण्डली में उपस्थित कई शुभ योगों, राजयोग एवं केन्द्रस्थ गुरू की उपस्थिति से “कालसर्प योग” के दुष्प्रभावों में कमी आएगी किंतु अपेक्षित सफलता के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। राहु की महादशा-अंतर्दशा उनके लिए लाभकारी सिद्ध होगी। एकादश स्थानगत राहु राजयोग कारक होता है। इसकी दशा-अंतर्दशा उन्हें सत्ता के केन्द्र में स्थापित करने वाली होगी। केजरीवाल इस समय गुरू की महादशा एवं ल़ग्नेश शुक्र की अंतर्दशा के प्रभाव में है। गुरू उनकी कुण्डली में “गजकेसरी” योगकारक होकर लाभस्थ राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी है वहीं शुक्र जनता के भाव चतुर्थ में चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी होकर स्थित है जिसके फस्वरूप उन्हें जनता का असीम स्नेह व सत्ता प्राप्त हुई। यह दशा २०१५ तक रहेगी। इसके बाद आनेवाली दशाएं भी उनके लिए अनुकूल हैं। निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि यदि अरविंद केजरीवाल “कालसर्प योग” की विधिवत शांति करवा लेते हैं तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि वे एक दिन भारतीय लोकतंत्र के सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाएं।
(उपर्युक्त फलादेश उपलब्ध कुण्डली का है जो अरविंद केजरीवाल की बताई गई है। हम इसकी प्रामाणिकता के बारे में कोई दावा नहीं करते।)