ज्योतिष में अनिष्ट ग्रहों की शान्ति का बहुत महत्त्व होता है। कुण्डली परीक्षण
के उपरान्त अनिष्ट ग्रहों की विधिवत व शास्त्रानुसार शान्ति करवाकर जातक अपने जीवन
में आए कष्टों का निवारण कर सकते हैं किन्तु अनिष्ट ग्रहों की शान्ति की उचित प्रक्रिया
की जानकारी के अभाव आज अधिकांश व्यक्ति इस लाभ से वंचित रह जाते हैं। आज हम अपने पाठकों के लिए नवग्रहों के सम्पूर्ण शान्ति-विधान की जानकारी देने जा रहे हैं।
निश्चित जप संख्या है आवश्यक-
अनिष्ट
ग्रहों की शान्ति की कई प्रक्रियाएं हैं जैसे अनिष्ट ग्रह के जाप-अनुष्ठान, अनिष्ट
ग्रह का दान,
अनिष्ट ग्रह के शत्रु या कुण्डली के अतीव शुभ ग्रह का रत्न धारण, औषधि स्नान आदि।
इन सभी में अनिष्ट ग्रहों का जाप अनुष्ठान सर्वाधिक लाभदायक होता है किन्तु इसमें उचित
जाप संख्या, दशांश और पूर्णाहुति हवन करना आवश्यक होता है। प्राचीन समय में निर्धारित जाप संख्या
के दशांश का हवन किया जाता था किन्तु वर्तमान समय में शास्त्र के निर्देशानुसार दशांश
हवन ना कर पाने की स्थिति में दशांश अतिरिक्त जाप का विधान प्रचलन में है।
क्या होता है चतुर्गुणित जाप-
सनातन धर्म में कलियुग को चतुर्थ युग माना गया है। अत: कलियुग में किसी भी ग्रह
के निश्चित जाप संख्या के 4 गुना जाप अर्थात चतुर्गुणित जाप को ही सम्पूर्ण
व श्रेष्ठ माना जाता है। कलियुग में अनिष्ट ग्रहों के 4 चरण करवाना
श्रेयस्कर रहता है किन्तु इसे आवश्यकतानुसार 1,2 अथवा 3 चरणों में विभाजित कर भी कराया जाता है किन्तु
यदि जाप चरणबद्ध तरीके से होते हैं तो प्रत्येक चरण की समाप्ति के पश्चात पूर्णाहुति
हवन करवाना आवश्यक होता है।
आईए जानते हैं कि नवग्रहों की शान्ति के लिए कितनी संख्या में जाप कराना लाभदायक
होता है।
1. सूर्य-7000 जाप प्रति चरण
2. चन्द्र- 11000 जाप प्रति चरण
3. मंगल- 10000 जाप प्रति चरण
4. बुध- 9000 जाप प्रति चरण
5. गुरू-19000 जाप प्रति चरण
6. शुक्र-16000 जाप प्रति चरण
7. शनि-23000 जाप प्रति चरण
8. राहु-18000 जाप प्रति चरण
9. केतु-17000 जाप प्रति चरण
किस मन्त्र से कराएं अनिष्ट ग्रहों के जाप-
अनिष्ट ग्रहों के शान्ति-विधान में निर्धारित जाप संख्या के साथ ही उचित मन्त्र
की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शास्त्रानुसार अनिष्ट ग्रहों का शान्ति अनुष्ठान
बीज मन्त्र व तान्त्रिक मन्त्र दोनों में से किसी भी एक के द्वारा सम्पन्न कराया जा
सकता है। वर्तमान समय बीज मन्त्र से जाप अनुष्ठान का प्रचलन अधिक है।
आईए जानते हैं कि नवग्रहों के बीज एवं तान्त्रिक मन्त्र कौन
से हैं-
1. सूर्य-ॐ घृणि: सूर्याय नम: (बीज मन्त्र), ऊँ ह्राँ
ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
2. चन्द्र-ॐ सों सोमाय नम: (बीज मन्त्र), ऊँ श्रां
श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
3. मंगल-ॐ अं अंगारकाय नम: (बीज मन्त्र), ऊँ क्रां
क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
4. बुध-ॐ बुं बुधाय नम: (बीज मन्त्र), ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स:
बुधाय नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
5. गुरू-ॐ बृं बृहस्पतये नम: (बीज मन्त्र), ऊँ ग्रां
ग्रीं ग्रौं स: गुरूवे नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
6. शुक्र-ॐ शुं शुक्राय नम: (बीज मन्त्र), ऊँ द्रां
द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
7. ॐ
शं शनैश्चराय नम: (बीज
मन्त्र), ऊँ प्रां प्रीं
प्रौं स: शनये नम: (तान्त्रिक
मन्त्र)
8. ॐ
रां राहवे नम: (बीज मन्त्र),
ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं
स:
राहवे नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
9. ॐ
कें केतवे नम: (बीज मन्त्र),
ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं
स:
केतवे नम: (तान्त्रिक मन्त्र)
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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