आज जैसे-जैसे विज्ञान प्रगति के सोपान चढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे ज्योतिष व विज्ञान
का फ़ासला कम होता जा रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले कुछ दशकों में ज्योतिष
विज्ञान के रूप में प्रसिद्धि पा लेगा लेकिन यह तभी सम्भव है जब श्रेष्ठ व विद्वान
ज्योतिषीगण ज्योतिष कार्य को रूढ़िगत सिद्धान्तों एवं व्यावसायिक मापदण्डों से ऊपर उठकर
अनुसंधनात्मक एवं शोधपरक रूप में करें। क्या यह योग्यता हर ज्योतिषी को अनिवार्यरूपेण
प्राप्त हो सकती है?
इस प्रश्न का उत्तर भी हमें ज्योतिशास्त्र में ही मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र में एक श्रेष्ठ ज्योतिषी या भविष्यवक्ता बनने के कुछ विशेष योगों व
ग्रहस्थितियों का उल्लेख हमें प्राप्त होता है। यह विशेष ग्रहस्थितियां व योग यदि किसी
जातक की जन्मपत्रिका में हों तो वह एक श्रेष्ठ व अनुसंधानात्मक ज्योतिष कार्य करने
वाला ज्योतिषी होता है। किसी भी ज्योतिषी की पत्रिका का विश्लेषण कर यह पता लगाया जा
सकता है कि उसमें भविष्यकथन करने की योग्यता है भी या नहीं। एक आध्यात्मिक व श्रेष्ठ
ज्योतिषी की पहचान उसकी जन्मपत्रिका में स्थित ग्रहों की विशेष स्थिति से सरलता से
की जा सकती है। आईए जानते हैं कि वे कौन से ग्रह, योग व ग्रहस्थितियां होती
हैं जिनके फलस्वरूप जातक एक श्रेष्ठ भविष्यवक्ता बन सकता है।
गुरू की शुभ स्थिति-
श्रीमद्भगवदगीता में कहा गया है "गहना कर्मणो गति:" अर्थात् कर्म की
गति गहन है। मनुष्य के संचित कर्मों से ही "प्रारब्ध" का निर्माण होता है।
जातक को जन्मपत्रिका में जो भी शुभाशुभ योग व ग्रहस्थितियां प्राप्त होती हैं वे सभी
पूर्वजन्म के कर्मों का परिणाम होती हैं। कर्म के सिद्धान्त को समझ पाना एक दुष्कर
कार्य है जो बिना विवेक के असम्भव है। ज्योतिष शास्त्र में गुरू को बुद्धि, विवेक
व अध्यात्म का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। अत: एक श्रेष्ठ ज्योतिषी की जन्मपत्रिका
में गुरू की शुभ स्थिति होना अनिवार्य है। एक विद्वान ज्योतिषी की जन्मपत्रिका में
गुरू का केन्द्रस्थ,
त्रिकोणस्थ, लाभस्थ, स्वग्रही, उच्चग्रही, उच्चाभिलाषी
ग्रह होना आवश्यक है। गुरू की शुभ स्थिति के बिना कोई भी जातक अच्छा ज्योतिषी नहीं
बन सकता।
बुध की शुभ स्थिति-
ज्योतिष शास्त्र में बुध को वाणी का नैसर्गिक कारक माना गया है। एक श्रेष्ठ ज्योतिषी
के लिए वाक् सिद्धि होना आवश्यक है। बिना वाणी को सिद्ध किए कोई भी जातक एक सफल भविष्यकवक्ता
नहीं बन सकता। वाक् सिद्धि के लिए बुध का शुभ स्थिति में होना अनिवार्य है। बुध की
शुभ स्थिति के लिए बुध का जन्मपत्रिका में केन्द्रस्थ, त्रिकोणस्थ, लाभस्थ
व उच्चराशिस्थ या उच्चाभिलाषी होना आवश्यक है।
सूर्य की शुभ स्थिति-
ज्योतिष शासत्रानुसार सूर्य आत्मा का कारक है। एक श्रेष्ठ ज्योतिषी तब तक आध्यात्मिक
रूप से समृद्ध नहीं होगा जब तक की उसकी जन्मपत्रिका में सूर्य की शुभ स्थिति नहीं होगी।
आध्यात्मिक ज्योतिषी के लिए सूर्य का केन्द्रस्थ, त्रिकोणस्थ, लाभस्थ
व उच्चराशिस्थ या उच्चाभिलाषी होना आवश्यक है।
बुध-गुरू का सम्बन्ध-
ज्योतिष शास्त्र के नियमानुसार बुध एवं गुरू के परस्पर प्रबल सम्बन्ध के बिना कोई
जातक श्रेष्ठ भविष्यवक्ता नहीं बन सकता। विद्वान भविष्यवक्ता की जन्मपत्रिका में बुध
व गुरू का पारस्परिक सम्बन्ध होना अनिवार्य है। ये सम्बन्ध चार प्रकार से क्रमश: प्रबलता
प्राप्त करता है-
1. बुध-गुरू की युति
2. बुध-गुरू का दृष्टि सम्बन्ध
3. बुध-गुरू अधिष्ठित राशिस्वामी का दृष्टि सम्बन्ध
4. बुध-गुरू का परस्पर राशि परिवर्तन सम्बन्ध
पंचम् भाव एवं पंचमेश-
जन्मपत्रिका के पंचम् भाव को उच्चशिक्षा एवं विवेक का प्रतिनिधि भाव माना जाता
है। पंचम् भाव का अधिपति विवेक व बुद्धि का तात्कालिक कारक होता है। एक अच्छे ज्योतिषी
की जन्मपत्रिका में पंचमेश का शुभ भावों में स्थित होना आवश्यक है एवं पंचम् भाव पर
किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव भी नहीं होना चाहिए।
अष्टम् भाव व केतु की भूमिका भी महत्तवपूर्ण-
ज्योतिष शास्त्रानुसार केतु को मोक्ष का कारक माना गया है। एक श्रेष्ठ ज्योतिषी
तभी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है जब उसे पराविज्ञान का लाभ मिले। जन्मपत्रिका का अष्टम्
भाव आयु के साथ-साथ पराविद्याओं का भी होता है यदि अष्टम् भाव का सम्बन्ध किसी प्रकार
से भी केतु से हो तो ऐसे जातक को पराविद्या का लाभ किसी वरदान की तरह प्राप्त होता
है। इस योग के फलस्वरूप वह जातक सटीक भविष्यसंकेत करने में सक्षम होता है।
उपर्युक्त ज्योतिषीय विवेचन के आधार पाठकगण यह भलीभांति समझ चुके होंगे कि ऊपर
वर्णित ग्रहस्थिति के बिना कोई भी जातक श्रेष्ठ व प्रामाणिक ज्योतिषी नहीं बन सकता
है। यहां पाठकों को यह बताना लाभदायक होगा कि हमारी जन्मपत्रिका में ऊपर वर्णित ग्रहस्थितियों
में से अधिकांश ग्रहस्थितियां (प्रत्येक सिद्धान्त में से एक अवश्य उपस्थित) निर्मित
हुई हैं। मुझे विश्वास है कि अब ज्योतिष-शास्त्र की प्रामाणिकता का निर्णय आप सभी सुधि
पाठकगण भलीभांति कर सकेंगे।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com