किसी भी शुभकार्य के मुहूर्त्त का निर्धारण करते समय "भद्रा" का विशेष
ध्यान रखा जाता है। पंचांग के "विष्टि" करण को "भद्रा" कहा जाता
है। "भद्रा" में शुभकार्य करना निषिद्ध माना गया है। किन्तु "भद्रा"
सदैव ही अशुभ नहीं होती। आईए जानते हैं कि "भद्रा" कब विशेष अशुभ व हानिकारक
होती है।
मृत्युलोक की "भद्रा" विशेष अशुभ व हानिकारक-
-यदि
"भद्रा" वाले दिन चन्द्र कर्क,सिंह,कुम्भ
व मीन राशि में स्थित हो तो "भद्रा" का निवास मृत्युलोक रहता है। मृत्युलोक
की भद्रा विशेष अशुभ व हानिकारक मानी जाती है। इसमें सभी प्रकार के शुभकार्य वर्जित
होते हैं"
-यदि
"भद्रा" वाले दिन चन्द्र मेष, वृष, मिथुन, व वृश्चिक
राशि में स्थित हो तो भद्रा का निवास (स्वर्गलोक) एवं भद्रा वाले दिन चन्द्र कन्या,तुला,धनु व
मकर राशि में स्थित हो तो भद्रा का निवास (पाताललोक) में रहता है। स्वर्गलोक एवं पाताललोक
निवासरत भद्रा विशेष अशुभ नहीं होती।
-मध्यान्ह
काल के उपरान्त भद्रा विशेष अशुभ नहीं होती।
-शुक्ल
पक्ष की चतुर्थी व एकादशी तथा कृष्ण पक्ष की तृतीया व दशमी तिथि वाली भद्रा दिन में
शुभ होती है केवल रात्रि में अशुभ होती है।
-शुक्ल
पक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तथा कृष्ण पक्ष सप्तमी व चतुर्दशी तिथि वाली भद्रा रात्रि
में शुभ होती है केवल दिन में अशुभ होती है।
-कोर्ट-कचहरी, मुकदमे, चिकित्सा, शत्रु
पराभव कार्य,
चुनावी नामांकन, वाहन क्रय इत्यादि में भद्रा दोष
मान्य नहीं होता।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
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