जीवन में कभी-कभी हमारा कोई कीमती सामान या दैनिक उपयोग की वस्तु अचानक खो जाती
है। अपनी प्रिय वस्तु के अचानक खो जाने के कारण जहाँ आर्थिक नुकसान तो होता ही है वहीं
व्यक्ति को मानसिक अवसाद भी घेर लेता है। उस समय जातक के मन में यह प्रश्न सहज ही उठने
लगता है कि उसकी खोई वस्तु मिलेगी या नहीं। ज्योतिष-शास्त्र इस प्रश्न का समाधान प्रस्तुत
करता है। ज्योतिष-शास्त्र में नक्षत्रों के वर्गीकरण के आधार पर गुम हुई वस्तु के पुन:
मिलने की सँभावनाओं का पता लगाया जा सकता है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार नक्षत्रों
को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये चार श्रेणियाँ हैं-
1. अन्ध नक्षत्र 2. मन्दलोचन नक्षत्र 3. मध्यलोचन नक्षत्र 4. सुलोचन नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्रानुसार अन्ध नक्षत्र में खोई हुई वस्तु शीघ्र मिल जाती है। अन्ध
नक्षत्र में गुम वस्तु के पूर्व दिशा में प्राप्त होने की सँभावना होती है। मन्दलोचन
नक्षत्र में गुम वस्तु बहुत प्रयास करने पर कठिनता से प्राप्त होती है। मन्दलोचन नक्षत्र
में खोई वस्तु के उत्तर या दक्षिण दिशा में मिलने की सँभावना होती है। मध्यलोचन नक्षत्र
में खोई हुई वस्तु अत्यन्त विलम्ब से प्राप्त होती है। सुलोचन नक्षत्र में खोई हुई
वस्तु के प्राप्त होने की कोई सँभावना नहीं होती है। वस्तु के गुम होने वाले समय जो
नक्षत्र चल रहा होता है उसी के अनुसार उपर्युक्त आधार पर खोई हुई वस्तु की प्राप्ति
की सँभावनाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है।
हम "वेबदुनिया" के पाठकों के लिए उपर्युक्त चारों श्रेणियों में आने
वाले नक्षत्रों की जानकारी यहाँ प्रदान कर रहे हैं-
1. अन्ध नक्षत्र- पुष्य,उत्तराफ़ाल्गुनी,विशाखा,पूर्वाषाढ़ा,धनिष्ठा,रेवती
व रोहिणी।
2. मन्दलोचन नक्षत्र- आश्लेषा,हस्त,अनुराधा,उत्तराषाढ़ा,शतभिषा,अश्विनी
व मृगशिरा।
3. मध्यलोचन नक्षत्र- मघा,चित्रा,ज्येष्ठा,पूर्वाभाद्रपद,भरणी
व आर्द्रा।
4. सुलोचन नक्षत्र- पूर्वाफ़ाल्गुनी,स्वाति,मूल,श्रवण,उत्तराभाद्रपद,कृत्तिका
व पुनर्वसु।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
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