अरिष्ट ग्रहों की शान्ति विषयक चर्चा में हम अपने पूर्ववर्ती दो आलेखों में मंत्रात्मक जप-अनुष्ठान एवं दान के बारे बता चुके हैं। आज ग्रहशान्ति से सम्बन्धित अन्तिम चरण में हम अपने पाठकों को अरिष्ट ग्रहों की शान्ति हेतु "औषधि स्नान" के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
क्या है "औषधि स्नान"
जन्मपत्रिका के अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जैसे मंत्रात्मक अनुष्ठान, दान एवं रत्न धारण करने का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है वैसे ही अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभावों के निवारण के लिए उन ग्रहों से सम्बन्धित जड़ी-बूटी व कुछ विशेष सामग्री मिश्रित जल से स्नान करने का भी वर्णन मिलता है। ग्रहों से सम्बन्धित जड़ी-बूटी मिश्रित जल से स्नान करने को ही "औषधि स्नान" कहा जाता है। नित्य "औषधि स्नान" करने से अशुभ व क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभावों में कमी आती है।आईए जानते हैं सम्पूर्ण नवग्रहों के "औषधि स्नान" के बारे में-
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1. सूर्य- इलायची, केसर, रक्त चन्दन, मुलेठी, लाल पुष्प मिश्रित जल से स्नान।
2. चन्द्र- पंचगव्य, खिरनी की जड़, श्वेत चन्दन, श्वेत पुष्प मिश्रित जल से स्नान।
3. मंगल- रक्त (लाल) चन्दन, जटामांसी, हींग, लाल पुष्प मिश्रित जल से स्नान।
4. बुध- अक्षत, गोरोचन, विधारा की जड़, शहद, जायफल मिश्रित जल से स्नान।
5. गुरू- हल्दी, शहद, गिलोय, मुलेठी, चमेली के पुष्प मिश्रित जल से स्नान।
6. शुक्र- जायफल, केसर, इलायची, चमेली या सफ़ेद पुष्प मिश्रित जल से स्नान।
7. शनि- सौंफ़, खस, सुरमा, काले तिल मिश्रित जल से स्नान।
8. राहु- कस्तूरी व लोबान मिश्रित जल से स्नान।
9. केतु- रक्त चन्द व कुशा मिश्रित जल से स्नान।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
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