१.वेशि-
जब चन्द्र के अतिरिक्त कोई ग्रह सूर्य से द्वितीय स्थित होता है तो "वेशि" नामक योग बनता है।
२.वाशि-
जब चन्द्र के अतिरिक्त कोई ग्रह सूर्य से द्वादश स्थित होता है तो "वाशि" नामक योग बनता है।
३.उभयचारी योग-
जब सूर्य से द्वितीय व द्वादश ग्रह स्थित होते हैं तो "उभयचारी" नामक योग बनता है।
फलश्रुति-
इन योगों में जन्म लेने वाला मनुष्य धनी,प्रसिद्ध,अच्छा वक्ता व सब प्रकार के सुखों का भोक्ता होता है।
यदि ये योग पाप ग्रहों के कारण बनते हैं तो इनका फल विपरीत होता है।
यदि ये योग पाप ग्रहों के कारण बनते हैं तो इनका फल विपरीत होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.