"चन्द्रे सभानौ यदि नीचद्रष्टे,
पासांशके याति दरिद्र योगम।
क्षीणेन्दु लग्नान्निधने निशायाम,
पापेक्षिते पापयुते तथा स्यात॥"
१- यदि सूर्य-चन्द्र की युति हो और वे नीच ग्रह से देखे जाते हों|
२- यदि सूर्य-चन्द्र की युति हो और वे पाप नवांश में स्थित हों|
३- यदि रात्रि में जन्म हो और क्षीण चन्द्र लग्न से अष्टम में स्थित हो
और वो ( चन्द्र) पाप ग्रह से युक्त व द्रष्ट हो|
४- चन्द्र राहु तथा किसी पाप ग्रह से पीड़ित हो|
५- केन्द्र में केवल पापी ग्रह स्थित हों।
६- चन्द्र से केन्द्र में केवल पापी ग्रह स्थित हों|
उपरोक्त योगों में जन्म लेने वाला मनुष्य निर्धन अर्थात दरिद्र होता है।
पासांशके याति दरिद्र योगम।
क्षीणेन्दु लग्नान्निधने निशायाम,
पापेक्षिते पापयुते तथा स्यात॥"
१- यदि सूर्य-चन्द्र की युति हो और वे नीच ग्रह से देखे जाते हों|
२- यदि सूर्य-चन्द्र की युति हो और वे पाप नवांश में स्थित हों|
३- यदि रात्रि में जन्म हो और क्षीण चन्द्र लग्न से अष्टम में स्थित हो
और वो ( चन्द्र) पाप ग्रह से युक्त व द्रष्ट हो|
४- चन्द्र राहु तथा किसी पाप ग्रह से पीड़ित हो|
५- केन्द्र में केवल पापी ग्रह स्थित हों।
६- चन्द्र से केन्द्र में केवल पापी ग्रह स्थित हों|
उपरोक्त योगों में जन्म लेने वाला मनुष्य निर्धन अर्थात दरिद्र होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.