गुरुवार, 28 मार्च 2013

काहल योग

"अन्योन्यकेन्द्रग्रहगौ गुरूबन्धुनाथौ।
 लग्नाधिपे बलयुते यदि काहलः स्यात॥"

यदि चतुर्थेश तथा भाग्येश एक-दूसरे से केन्द्र में स्थित हो और लग्नाधिपति बलवान हो तो "काहल-योग" होता है। इस योग में जन्म लेने वाला मनुष्य ओजस्वी,मान्य व राजा के समान होता है।

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